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उत्तराखंड की एक एक इंच जमीन का हिसाब रखेगी सरकार, जमीन का भू-आधार नंबर होगा तैयार

-राज्य में संपूर्ण भूमि का सर्वे होने और जीआईएस मैप तैयार होने के बाद भूमि विवाद संबंधी मसलों को हल करने में मदद मिलेगी। साथ ही प्लानिंग के स्तर पर सरकार को निर्णय लेने में आसानी होगी। हर भूमि का भू आधार नंबर (यूएलआईपीएन) तैयार होगा।

उत्तराखंड में लैंड जिहाद के मुद्दे पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर चुकी धामी सरकार राज्य की एक-एक इंच जमीन का हिसाब जुटाएगी। इसके लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए राज्य की संपूर्ण भूमि का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके बाद पूरे राज्य का जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) से नक्शा तैयार किया जाएगा।  राज्य सरकार की ओर से इसके लिए 150 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड राजस्व परिषद को इस काम के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से इस बात की जरूरत महसूस की जा रही थी कि संपूर्ण भूमि का डाटा इकट्ठा कर लिया जाए। लेकिन, यह काम आगे नहीं बढ़ पाया। प्रदेश का अधिकांश भूभाग (नौ जिले) पर्वतीय होने के कारण जमीनें गोल खातों के विवाद में उलझी हैं। सरकार कई विकास योजनाओं को भूमि की अनुपलब्धता के कारण शुरू नहीं कर पा रही है। वहीं, कई विभागों के पास अपनी ही उपलब्ध भूमि का रिकॉर्ड नहीं है।

संपूर्ण भूमि का सर्वे, सरकारी विभागों की भूमि का जुटाया जाएगा ब्योरा

अब सरकार ने  संपूर्ण भूमि का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में निकाय का गठन किया गया है, जिसमें तमाम विभाग के अपने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव व विभागाध्यक्षों को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। उत्तराखंड राजस्व परिषद को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का सर्वेक्षण करेगी। साथ ही सभी सरकारी विभागों की भूमि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा।

सर्वेक्षण का काम दो साल में पूरा होगा 

डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रदेश की संपूर्ण भूमि के सर्वेक्षण का काम दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य सचिव के आदेश के बाद आरएफटी टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सर्वे का काम एरियल लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक से किया जाएगा। यह सर्वे की एरियल मैपिंग तकनीक है, जो धरती की सतह से कैलिब्रेटेड लेजर रिटर्न का उपयोग करती है और ऑन-बोर्ड पोजिशनल और आईएमयू सेंसर से लैस जीपीएस-निगरानी वाले विमान के माध्यम से पूरी की जाती है।

30 करोड़ रुपये पहली किस्त जारी

सरकार की ओर से सर्वेक्षण के लिए 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। पहली किस्त के रूप में करीब 30 करोड़ रुपये शासन ने जारी कर दिए हैं।

उत्तराखंड में संपूर्ण भूमि के सर्वेक्षण के काम के लिए टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दो साल के भीतर काम को पूरा कर लिया जाएगा। इससे राज्य सरकार के साथ ही लोगों को भी फायदा होगा।

चंद्रेश यादव, आयुक्त व सचिव, उत्तराखंड राजस्व परिषद

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