Fri. Nov 22nd, 2024

साहित्य

साहित्यकार भारती पांडे की होली पर एक सुंदर रचना … कविता में उमगा त्यौहार

भारती पाण्डे देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————————————————- होली के रंग वन कुंजन उपवन में खिले प्रसून बहुरंग…

युवा कवि/शाइर विजय कपरवान की रचना … भीष्म यहां लाचार खड़ा है राम तुम्हें आना होगा

विजय कपरवान पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड ———————————————————————————————————————- युगों युगों की पीड़ा हरने मुझको मेरे ऋण से तरने…

वसंत पर विशेष: कवि वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” … धरती धवल हुई, उमंगें नवल हुई

वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” देहरादून, उत्तराखंड —————————————————– मनहरण घनाक्षरी छंद धरती धवल हुई, उमंगें नवल हुई…

दल बादल की राजनीति पर कवि जीके पिपिल की चुटकी … कल के किशोर में कितनी जान अभी बाकी है..

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड —————————————————— होना चुनावी समर का घमासान अभी बाकी है कौशल के…

दल बादल की राजनीति पर कवि जीके पिपिल की चुटकी … उनकी नज़र से उनके दिल से दूर होकर निकले

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ————————————————– उनकी नज़र से उनके दिल से दूर होकर निकले उनकी…

वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की एक ग़ज़ल …. तुम जिधर से भी गुज़रो मैं तुम्हारी राह में रहूँ

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————— गज़ल तुम जिधर से भी गुज़रो मैं तुम्हारी राह में…

वरिष्ठ कवि शा इर जीके पिपिल की ग़ज़ल … जिसे चाटकर वो बन बैठा दल में फ़िर से ख़ास रे…

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ——————————————————- गज़ल उसे सोनिया के तलवों में गुड़ सी मिली मिठास…

वरिष्ठ कवि/शा इर जीके पिपिल की ग़ज़ल … तलवे चाटता है और ख़ुद्दारी की बात करता है …

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————– गज़ल तलवे चाटता है और ख़ुद्दारी की बात करता है…