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होली पर विशेष:: कवि वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” का होली गीत … फागुन ने छेड़ी तान

वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”
देहरादून, उत्तराखंड


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फागुन ने छेड़ी तान
घुघती गए मीठे गान
खिला है फ्यूंली और बुरांश
प्रकृति में नव यौवन की आस
होली आई रे …

होली प्रीत प्रीत बस प्रीत
होली है सनातन रीत
होली साजन सजनी का गीत
होली रंगों का मनमीत
होली आई रे …

होली कान्हा का संगीत
होली है प्रहलाद की जीत
होली युवा दिलों का मेल
होली है रंगों का खेल
होली आई रे …

बहकाए मौसम की धार
सजनवा भर पिचकारी मार
करूं मैं रंगों का श्रृंगार
सुहागिन होली का त्यौहार
होली आई रे …

मन में जागे है उमंग
हर पल हो सजनी का संग
जीवन मीठी मधुर तरंग
आंचल में भर दूं खुशियों के रंग
होली आई रे …।।

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