Fri. May 30th, 2025

poetry

मुंबई महाराष्ट्र से तारा पाठक की एक कविता… उचित है मैं केंचुआ हूँ.. कोशिश भी नहीं की बनूं संपोला

तारा पाठक वर्सोवा मुंबई, महाराष्ट्र ————————————– दूसरों के लिए —————————– उचित है मैं केंचुआ हूँ।…

कवि जसवीर सिंह हलधर की एक ग़ज़ल, खलिहान ही उजड़े मिले, महकी मिलीं सब मंडियां..

जसवीर सिंह ‘हलधर’ देहरादून, उत्तराखंड —————————————- ग़ज़ल (हिंदी) —————————— राही सभी थक कर गिरे, चलती…

तारा पाठक की एक रचना.. दखल अंदाजी प्रकृति से मौसम हुआ भुलक्कड़

तारा पाठक वर्सोवा, मुंबई, महाराष्ट्र ——————————————– प्रकृति से छेड़खानी का नतीजा ———————————————— दखलअंदाजी प्रकृति से…