वरिष्ठ कवि/शा इर जीके पिपिल की ग़ज़ल … तलवे चाटता है और ख़ुद्दारी की बात करता है …
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————– गज़ल तलवे चाटता है और ख़ुद्दारी की बात करता है…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————– गज़ल तलवे चाटता है और ख़ुद्दारी की बात करता है…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ————————————————— उसे सोनिया के तलवों में गुड़ सी मिली मिठास रे…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ————————————- जहाँ-जहाँ भी रहे हमेशा वहाँ-वहाँ सबसे टकराये जाने किसके बलबूतों…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ——————————————————— दर्पण उचित चुनावी मान्यता उसका अपना मंत्र जहाँ से ज़्यादा…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————— ग़ज़ल फलों को हाथों से नहीं पत्थरों से तोड़ा गया…
तारा पाठक हल्द्वानी, उत्तराखंड ———————————————– पिछ्याडि़ बारै उतरैणि में हमार घुघुत काव नि ल्हिगोय। कतु…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————— दर्पण टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये चेहरे भी…
पागल फ़क़ीरा भावनगर, गुजरात —————————————- ग़ज़ल नासूर पर तो मरहम भी बेअसर से निकले, करते…
प्रतिभा की कलम से ——————————————————- दो बीघा जमीन ‘मैंने जिंदगी में कभी पचास रुपए एक…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————- वह छोटा हाई कमान क्या हुआ ख़ुदा हो गया वो…