ग़ज़ल

वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की एक ग़ज़ल…. हम चाँद होकर भी अपनी चाँदनी को तरसते रहे

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड —————————————————- गज़ल हम चाँद होकर भी अपनी चाँदनी को तरसते रहे…

वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की ग़ज़ल… मोहब्बत में गँवाया था गँवाया है कमाया कुछ नहीं

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ——————————————————————————— ग़ज़ल मोहब्बत में गँवाया था गँवाया है कमाया कुछ नहीं जिस…

वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की एक ग़ज़ल… कोई उनसे कहो कि आज दीवाली है लौट आये… 

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड —————————————————————- गज़ल  कोई पास ना आने के कर गया बहाने कैसे कैसे…

कवि/शाइर जीके पिपिल की एक ग़ज़ल… महबूबा अपनी सलामत रहे उम्र दराज़ हो जाये..

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————- गज़ल हर लफ़्ज़ इश्क़ में डूबा हुआ अल्फ़ाज़ हो जाये…